माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। ये स्तम्भन की देवी हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है वो इन्हीं की वजह से है।सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती.[क्या ये तथ्य है या केवल एक राय है?] शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का स्तम्भन होता है तथा जातक का जीवन निष्कंटक हो जाता है।[क्या ये तथ्य है या केवल एक राय है?] किसी छोटे कार्य के लिए १०००० तथा असाध्य से लगाने वाले कार्य के लिए एक लाख मंत्र का जाप करना चाहिए। बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। स्वरुप : नवयौवना हैं और पीले रंग की साङी धारण करती हैं । सोने के सिंहासन पर विराजती हैं । तीन नेत्र और चार हाथ हैं । सिर पर सोने का मुकुट है । स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत हैं । शरीर पतला और सुंदर है । रंग गोरा और स्वर्ण जैसी कांति है । सुमुखी हैं । मुख मंडल अत्यंत सुंदर है जिस पर मुस्कान छाई रहती है जो मन को मोह लेता है ।माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। ये स्तम्भन की देवी हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है वो इन्हीं की वजह से है।व्यष्ठि रूप में शत्रुओ को नष्ट करने की इच्छा रखने वाली तथा समिष्टि रूप में परमात्मा की संहार शक्ति ही बगला है। पिताम्बराविद्या के नाम विख्यात बगलामुखी की साधना प्रायः शत्रुभय से मुक्ति और वाकसिद्धि के लिये की जाती है। इनकी उपासना में हल्दी की माला, पीले फूल और पीले वस्त्रो का विधान है। माहविद्याओं में इनका स्थान आठवाँ है। द्वी भुज चित्रण ज्यादा आम है और सौम्या या मामूली फार्म के रूप में वर्णित है। वह उसके दाहिने हाथ में एक गदा जिसके साथ वह एक राक्षस धड़क रहा है, जबकि उसके बाएं हाथ के साथ अपनी जीभ बाहर खींच रखती है।
(1) विशेष रूप से मां का पूजा शत्रु पर विजय। राजनितिक जीत एवं बच्चों की शिक्षा के लिए किया जाता है।
(2) इनकी पूजा से भक्तों को उच्च पद प्राप्त होता है।
(3) किसी मुकददमे में फंसे हैं या शत्रु से त्रस्त हैं, घर में कोई मुश्किल है और उसका कोई निदान नहीं हो रहा है या अपनी संतान को लेकर चिंतित है तो बगलामुखी आपका कल्याण करेंगी।
(4) यह देवी राजयोग की देवी है। सत्ता - असत्ता इनके अधीन है। इसलिए नेता भी इनकी शरण में जाते हैं।
उज्जैन में बगलामुखी अनुष्ठान के लिए आप हमारे यहाँ उज्जैन ( अवंतिका नगरी ) -"राम घाट" स्थान पर आ सकते हैं। हमारे यहाँ पर अनुष्ठान कार्य के लिए पूर्व में ही दिनांक निश्चित की जा सकती है। आपको किसी भी प्रकार का पूजा पाठ का सामान इत्यादि नहीं लाना होता। तय दिनांक पर आपके लिए विशेष विद्वान को अनुबंधित रखा जाता है तथा सभी आवश्यक सामान एवं सुविधाओं को तैयार रखा जाता है।
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हमारे यहाँ उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट "राम घाट" पर बगलामुखी अनुष्ठान से सम्बंधित उपाय का वर्णन वेदों एवं शास्त्रों में लिखा है। महाकाल की नगरी में इस कार्य हेतु उपाय का विशेष प्रभाव देखा गया है। हमारे यहाँ शास्त्रार्थ तरीके से विशेष विधान के साथ विद्वानों द्वारा पितृ दोष सम्बन्ध में उपाय करवाये जाते हैं।
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