जन्मकुंडली के कुछ निश्चित भाव में मंगल ग्रह के होने पर मांगलिक दोष बनता है। मंगल ग्रह जब कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित होता है तो इस स्थिति में मंगल दोष बनता है जो की दांपत्य (वैवाहिक जीवन) के लिए अशुभ होता है।
(1) मंगल लग्न में हो तो स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। स्वाभाव उग्र या जिद्दी होता है।
(2) चौथे स्थान के मंगल से सुख में कमी होती है।
(3) सांतवे स्थान में मंगल होने से दांपत्य सुख की हानि होती है तथा पति या पत्नी के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।
(4) आठवें स्थान का मंगल मृत्यु तुल्य होता है।
उज्जैन (अवंतिका नगरी ) में विश्व का एक मात्र मंगल का मंदिर है। जहाँ मांगलिक दोष सम्बंधित समाधान करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। 'राम घाट' स्थान पर शिप्रा नदी के तट पर गृह शांति से सम्बंधित भात (चावल) पूजा अर्चना करने से मंगल सम्बंधित समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
वर के मांगलिक (मंगल गृह शांति) के लिए अर्क विवाह का प्रावधान है। इसके साथ ही मंगल गृह के मंत्र एवं हवन साथ में किया जाता है।
कन्या के मांगलिक (मंगल गृह शांति) के लिए कुम्भ विवाह का प्रावधान है। इसके साथ ही मंगल गृह के मंत्र एवं हवन साथ में किया जाता है।
शास्त्र अनुसार मंगल ग्रह के लिए 40000 मंत्र करके दशांश हवन करने पर दोष सम्बंधित समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
उज्जैन में मांगलिक दोष शांति के लिए आप हमारे यहाँ उज्जैन ( अवंतिका नगरी ) - "राम घाट" स्थान पर आ सकते हैं। हमारे यहाँ पर अनुष्ठान कार्य के लिए पूर्व में ही दिनांक निश्चित की जा सकती है। आपको किसी भी प्रकार का पूजा पाठ का सामान इत्यादि नहीं लाना होता। तय दिनांक पर आपके लिए विशेष विद्वान को अनुबंधित रखा जाता है तथा सभी आवश्यक सामान एवं सुविधाओं को तैयार रखा जाता है।
पूर्व सूचना देने के लिए आप नीचे दिए गए फॉर्म को भर कर "सबमिट" करें। हम यथा शीघ्र आपको कॉल करके आपके संभावित प्रश्नों का हल करेंगे तथा आपके लिए दिनांक व समय निश्चित करेंगे।
हमारे यहाँ कोरोना काल में बिना उज्जैन आये भी अनुष्ठान की व्यवस्था है। हम लाइव टेलीकास्ट द्वारा आपके लिए अनुष्ठान कार्य करेंगे जिसे आप अपने स्थान पर बैठे हुए देख पायेंगे तथा अपनी उपस्थिति दे पायेंगे।